Sunday, March 6, 2011
'किसी को कोई फरक नहीं पड़ता..'
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किसी को कोई फरक नहीं पड़ता..सब ही भ्रष्ट हैं..हसन अली जी हों या सुरेश कलमाड़ी जी..थोमस जी या बेचारे खुद मनमोहन जी..सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे..!!! इन सब बातों पर अपनी ऊर्जा का प्रवाह करने से कोई लाभ नहीं..!!
आप क्या कर सकते हैं..?? सरकार हटा सकते हैं..?? महंगाई घटा सकते हैं..?? आम आदमी को रोटी दिला सकते हैं..?? निर्दोष व्यक्ति को न्याय दिला सकते हैं..?? खून-पसीने की गाढ़ी कमाई को व्यवस्थित जगह निवेश कर सकते हैं..??? आम जनता को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं..?? रोज़गार उपलब्ध करा सकते हैं..??? शिक्षा का समुचित विकास करा सकते हैं..?? शिक्षण संस्थानों का दुरूपयोग रोक सकते हैं..??? 'कर' को दूसरे देशों में जाने से रोक सकते हैं..?? एक ऐसा संगठन बना सकते हैं, जहाँ शुद्ध स्वरुप में देश के विकास के लिए नीतियाँ बन सकें..??
जाने दीजिये..!! यहाँ दिखता कुछ और है..होता कुछ और है..जो आवाज़ उठता है..वो ही मारा जाता है..!!! सब छलावा है..भ्रम है..!! सब यहाँ स्वार्थ के लिए ही जीते हैं..! जो सत्य की दुशाला पहनेगा, उसे ही व्यर्थ जीवन गँवाना पड़ेगा..!!
यहाँ बैठ कर लिखना और इस गंभीर विषय पर लिखना सरल है, परन्तु उसे निभाना और जीना उतना ही कठिन..!!!
प्रयत्न बहुत करते हैं..सफल हो जाएँ..तब समझें, 'जीवन सफल हुआ..ध्येय पूरा हुआ..!!!'
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"आशा की किरण लिए चलता हूँ..
ह्रदय में ज्योत लिये जलता हूँ..
निश्चय ही मिलेगी जीत की मिठाई..
लहू के धनुष..फौलाद के विचार मलता हूँ..!!"
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जय हिंद..!!!!
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4 comments:
विचारणीय बातें हैं.... आखिरी पंक्तियाँ बहुत सुंदर और सकारात्मक हैं....आभार
धन्यवाद डॉक्टर शर्मा जी..!!
"आशा की किरण लिए चलता हूँ..
ह्रदय में ज्योत लिये जलता हूँ..
निश्चय ही मिलेगी जीत की मिठाई..
लहू के धनुष..फौलाद के विचार मलता हूँ..!!"
चलते रहने वाले ही मंजिल पाते हैं
प्रेरक पँक्तियाँ।
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
धन्यवाद निर्मला कपिला जी..!!
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