अगर आप एक ही खेल को सारी अहमियत देंगे..बाकी सब को दरकिनार कर देंगे, तो सोचिये ज़रा देश का क्या होगा..?? उन खिलाड़ियों के बारे में सोचिये..जो दिन-रात कठोर साधना और मेहनत करते हैं और उनको सुविधाएं भी नहीं मिल पाती हैं..यहाँ सिर्फ एक ही खेल को मान्यता मिली हुई है..जैसे बाकी सब खेलों ने कोई पाप किया है..!! हमारा सूचना-तंत्र भी सिर्फ उन खिलाड़ियों की वाह-वाही करता है..!!!
एक तरफ कोई क्रिकेट का खेल चल रहा होगा तो सारा ध्यान वहां पर ही केन्द्रित रहेगा..चाहे दूसरी ओर अन्य खेलों में खिलाड़ी सबसे ऊँचा पुरूस्कार/सम्मान भी जीत घर आयें होंगे, उनको सिर्फ २-4 पंक्तियों की जगह मिलेगी..बाकी 'कोटा' तो क्रिकेट के लिए सुरक्षित है..!!
बेचारे समाचार-पत्र वाले भी क्या कर सकते हैं, आखिर उन्हें भी तो अपनी रोज़ी-रोटी कमानी है..फिर इसके लिए चाहे कितने खिलाड़ियों की भावना या मेहनत का बलिदान देना पड़े..किसे परवाह..?
कितनी बड़ा अपमान है..कितनी बड़ी दुविधा है..!!!
Tuesday, December 14, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
बहुत सही कहा आपने!
हमारी भी यही पीड़ा है!
धन्यवाद मयंक साहब..!!
Post a Comment