आज ईद पर अनगिनत मूक पशु-पक्षियों का कृन्दन हर ओर गूँज रहा है..दया और करुणा करें..अहिंसा का मार्ग अपनाएँ.. 'जीयो और जीने दो'..!!
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"मूक पशुओं की सुनो पुकार..
करते कृन्दन..
भय व्याकुलता अशांति..
आज चहुँ ओर..
हुई व्याप्त है..
हिंसा के परमाणु बसे..
क्यूँ ह्रदय में..
प्रिय है जीवन उनको भी..
करो दान..
दो उनको 'अभयदान'..
विवेक का परिचय..
उदारता का हाव..
कृतज्ञ रहेंगे सदा..
फैलाओ करुणा भाव.!"
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Tuesday, November 16, 2010
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4 comments:
"मूक पशुओं की सुनो पुकार..
करते कृन्दन..
भय व्याकुलता अशांति..
बहुत सर्थक सुन्दर सन्देश दिया कविता के माध्यम से बधाई।
धन्यवाद निर्मला कपिला जी..!!
विवेक का परिचय..
उदारता का हाव..
कृतज्ञ रहेंगे सदा..
फैलाओ करुणा भाव.!"
v nice
keep writing good ones
धनयवाद नीलांश जी..!!
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