Sunday, December 23, 2012


यहाँ गलती किसकी है..?? दोष किसका है..?? समाज का, इंसान का, सरकार का, नीतियों का, पुलिस..???? क्यूँ हम स्वयं खड़े नहीं हो पाते अपने अधिकारों के लिए..?? क्यूँ सह रहे हैं हम ये तानाशाही..??? क्या जनता में इतना साहस, बल नहीं कि उखाड़ सके सरकार की धज्जियाँ..???

जब तक हम बुलंदी से नहीं इन व्यर्थ की नीतियों को हटा नहीं देंगे, कुछ नहीं होगा...

समय आ गया है..इस कायरता और लाचारी को उठा फेंकने का.. कब तक इन झूठी साँसारिक कड़ियों में जकड़े रहेंगे..??? जिस अधिकार से राष्ट्र-सेवकों को राष्ट्र की सेवा का अवसर दिया है, उसी अधिकार से खदेड़ो इन मानवता के शत्रुओं को..??? वैसे, पाया क्या है हमने इन नेताओं को हम पर राज करने का अधिकार देकर..???? आतंक, महँगाई, असुरक्षा, मानवहीनता, असंवेदनशीलता....... है ना..????

अगर राजनीति ही मर चुकी है..किसी भी नेता में सामने आने का दंभ नहीं, आखिर क्यूँ फिर हम उन्हें अपना नेता कह रहे हैं..?? क्यूँ नहीं सत्ता पलट होती..???