Thursday, January 28, 2010

For those children..youth..who are forced to give up their childhood to execute the blueprint of 'Jehad'..!!!

...

"वो मासूम अदाएँ..
वो तुतलाना..
वो हँसते हुए गिर जाना..
वो झटपट पेड़ पर चढ़ जाना..
वो दीवार फांदना..
वो नीम के झूले..
वो मिटटी में लेट जाना..
वो खिलखिलाहट..

बचपन अब कहाँ रहा..

बारूद के ढेर में..
सिमट गयीं हैं..

फ़क़त..
जेहाद की आवाजें..!"

...

1 comment:

नीलांश said...

the bitter truth of children living in those conditions.....