Thursday, January 20, 2011

'चलो..अपना ईमां बेच आते हैं..'


...


"चलो आज फिर..
अपना ईमां बेच आते हैं..

भर-भर के आयेंगे तोहफे..
जमा स्विज़ बैंक में करवाएंगे..
खलिश हो अवाम की..

या..

दहशतगर्दी का नश्तर..
हमको लेना अपना खज़ाना..
आवाम पर चाहे..
दांव हो लगाना..

क्या करेगा हाकिम*..
और बेफिक्र ज़माना..
फिज़ा को भी भरना होता है..
जुर्माना..

है ना..
कितना हसीं..
अपनी खालिक** को..
खंज़र से चीर जाना..!!"

...


*हाकिम = न्यायाधीश/Judge
**खालिक= जन्मदाता/Creator

No comments: