Tuesday, June 14, 2011

'बेख़ौफ़ शैतां..'


...


"इल्म ना हुआ..
शहादत-ए-फ़ौजी..
बेख़ौफ़ शैतां..
रूह में बसर..
सियासी-*बुलहवास..
फ़क़त..
दास्तां ये पुरानी..!!!"


...

* बुलहवास = लालची..

2 comments:

नीलांश said...

v nice and true...
keep writing

priyankaabhilaashi said...

धनयवाद नीलांश जी..!!