Thursday, June 16, 2011

'समय का प्रवाह..'




...



"मंजिलों को पंख लगा..
देश की वायु को जंग लगा..

करती है सरकार..
ना जाने कैसा व्यापार..

भरती अनाज के गोदाम..
मरती जनता बे-दाम..

उठो..

जागो..

समय का प्रवाह करता..
इशारा..

थामो अधिकारों का पिटारा..
गिराओ छल कपट का गलियारा..!!!"



...

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