Saturday, January 19, 2013

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"सारे रस्ते बंद, यातायात की अव्यवस्था, शहर का सौन्दर्यीकरण, चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल, झंडे, होर्डिंग्स, विज्ञापन से लैस हर कोना, जनता को होती असुविधा, आवागमन में परेशानी, सारे होटल्स ब्लाक(सैलानियों का 'पीक सीज़न' है ये)...

किसे चिंता है..?? हमें सरकार बचानी है, पुन: सत्ता में आना है..!!! इसकी एवज़ में कोई कुछ भी झेले..ये उसकी स्वयं की गल्ती है..!!!"

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Monday, January 7, 2013

भारत माँ की चीत्कार..

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"हर तरफ लुट रहा..
खून हर गली बह रहा..
छलनी होता ह्रदय मेरा..
क्या किसी को नहीं दिख रहा..!!!"

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आक्रोश वहाँ नयी चेतना, नयी क्रान्ति को जन्म देता ही..जहाँ का जन-सैलाब कुछ कर गुजरने का माद्दा रखता है, जहाँ लहू की बूँदें उद्वेलित करती हैं, जहाँ जिगर पर गोलियों से देशभक्ति का जज़्बा बहता है, जहाँ जातिवाद पर हिंसा भड़क देश के अहित में भाषण नहीं होते, जहाँ भाई-भाई देश की तरक्की चाहता है, जहाँ हर स्त्री देश में सुरक्षित महसूस कर देश की अर्थ-व्यवस्था मज़बूत करने में सहयोग देती है, जहाँ राजनीति व्यवसाय नहीं होता, जहाँ राष्ट्र-नेता बंदूकधारियों से अपनी रक्षा नहीं करवाते..


हम सब ऐसे ही हैं--असंवेदनशील, कोई फर्क नहीं पड़ता..कितनी ही लाशें सामने बिछ जायें, कितने ही ज्वार-भाटे आयें, कितने ही बम फटें, कितने ही अपमानित हो जायें हमारा स्त्री-वर्ग, कितना ही गले घुटे हमारे संस्कारों का, कितना ही शोषण हो हमारे बड़े-बुजुर्गों का, कितना ही लूटा जाए गरीबों को/मध्यमवर्गीय परिवारों को, कितनी ही महँगाई बढ़ जाये, कितनी ही लूट-पाट हो जाये..............पर हमें फर्क नहीं पड़ेगा..हम सब ऐसे ही हैं और रहेंगे..!!!
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ना किसी में हिम्मत है..ना किसी के पास जिगर है.. दो दिन के लिए ये सारे ज्वालामुखी उबलते हैं, फटने का जिगर किसी का भी नहीं है..!! सरकार को या व्यवस्था को दोषी क्यूँ करार दिया जाए, जब हम खुद अपने हितों/ अधिकारों के लिए खड़े ही नहीं हो सकते..लड़ना तो दूर, बहुत दूर, की बात है..!!

शब्दों का प्रयोग कर स्वयं को झूठा दिलासा देने जैसा ही है, जहाँ हम सब मन के हर छोर में ये तख्ती लटका चुके हैं कि जो भी हो, जैसा भी हो..हम जी लेंगे.. थोड़ा शोर-शराबा करेंगे, दंगा-फ़साद होगा, सरकार घबरायेगी, संविधान को भी उल्टा-सीधा कहा जाएगा, क़ानून की भी धज्जियाँ उड़ेंगी, फिर थोड़े दिन बाद.......सब पहले जैसा हो जाएगा..!!!!!

ये ही किस्मत हमारी है..ये ही हमारी व्यवस्था है..ये ही हमारी भूल है..!!!

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