Saturday, June 15, 2013


हम सब इसी बात का दंश ले जीते हैं..

मैं भी आज तक इस अनुभूति से स्वयं को बाहर नहीं ला पायी कि मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ.. जब पाँचवी कक्षा में थी हमारी एक अध्यापिका थीं..वो सदैव ही कहा करतीं थीं--'तुम लोग बड़े होकर अपने लिए SC /ST का सर्टिफिकेट बनवा लेना..ये आराक्षण ऐसे तो तुम्हें पढ़ने नहीं देगा..!!' उनके बेटे ने किसी सामान्य इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लिया था, जबकि वो बहुत मेधावी छात्र थे..हमें आने वाले हादसे से बचाना चाहतीं थीं..पर नियति कौन बदल सकता है..

क्या संभव है हम सब मिलकर इस पूरी व्यवस्था को चुनौती दें और बिना आरक्षण का एक नया तंत्र लायें??? पर जानती हूँ..'कुछ स्वप्न जीवन भर के लिए होते हैं, हमारी स्मृति उन्हें पोषित करती है..ये ही उनका आधार होता है..!! वो कभी पूर्ण नहीं होते..!!!!'

किसको दोष दें इस प्रणाली के लिए, ऐसे तंत्र के लिए जहाँ मेधावी और योग्य छात्रों/व्यक्तियों का मोल ही नहीं है..??? अगर हम पुरजोर प्रयत्न करें इस शुद्ध करने की..तब भी नहीं होगा..!!! ये ही यथार्थ है..ये ही लक्ष्मण/सीता/राम/कृष्ण/चाणक्य रेखा है..



क्यूँ दुखती राग पर हाथ रख रहे हैं..?? कितना झेला है..कितना सहा है..मेरे जैसे कितने ही होंगे.. सब जी लेते हैं इस श्राप के साथ..मैं भी भुगतभोगी हूँ, बड़ी बहना.. ऐसा ही होता है.. बचपन से सपना संजोया था कि अपने ड्रीम MBA स्कूल में पढूँगी, पर जब समय आया तो हम सामान्य वर्ग के थे..सो वंचित रह गए..!!! और तो और जिस दूसरे कॉलेज में प्रवेश मिला..वहाँ भी राजनीति का शिकार हुई..!! कहाँ-कहाँ तक हटायेंगे इस विष-बेल को जो जकड़ चुकी है हमारा तन और मन..!! मस्तिष्क तो स्वत: ही मान लेता है अपना दोष..!!!


इसीलिए अच्छा यही है..इस तंत्र से बाहर रहिये..अपने काम से काम रखिये.. क्यूँकि आप ये युद्ध अकेले नहीं लड़ सकते..!!! पूरे राष्ट्र में इसकी जड़ें बहुत गहरी पैठ जमा चुकीं हैं..जो उसे हटाने का प्रयास मात्र भी करेगा..वो चुक जाएगा..!!


नकराने से क्या होगा?? आपका परिश्रम व्यर्थ ही गया होगा न?? किसीको कोई लेना-देना नहीं..पूर्ण रूप से हम अशुद्ध और भ्रष्ट हो चुके हैं..!!! कोई मूल्य नहीं..!! भूल जाइये..किसी से अपेक्षा मत रखिये.. पर हाँ, अपने अन्दर इन सबको फलने-फूलने दीजिएगा अन्यथा हममें और बाकी जनों में विशेष अंतर नहीं रहेगा..!!

संस्कृति, ज्ञान, आचार-विचार, सम्मान, आथित्य, व्यवहार, करुन, स्नेह, दया, सहयोग, मदद..सब इतिहास है..!!!

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