आप दूसरे खेलों की तरफ ध्यान ही नहीं लगायेंगे तो कहाँ से उनका उद्धार होगा..?? मेरा विचार है कि क्रिकेट को ही अपना राष्ट्रीय खेल बना लेना चाहिए..कम से कम राष्ट्र सम्मान तो सुरक्षित रहेगा..!!!
यहाँ दूसरे खेलों को जिस निर्ममता से अग्निकुंड में भस्म किया जाता है, उन सब की कोई होड़ नहीं..!!! क्यूँ ऐसा वातावरण नहीं बनाया जाता जहाँ पर हर खेल को प्रोत्साहित किया जाए, ज़रूरतमंद खिलाड़ियों को सुविधाएं दीं जाएँ..??
सरकार पहले अपनी गद्दी तो जमा लें, मन भर के धन बटोर ले..फिर सोचेगी अगले चुनाव में कैसे वापस आया जाए..?? कब बदलाव आएगा..?? कब विचार-शैली बदलेगी..?? कब हम राष्ट्र-हित में सोचेंगे और कदम आगे बदयेंगे..?? कब उन्नति का बीज हमारे दिमाग में उगेगा, जिससे देश की आर्थिक-स्थिति और मज़बूत हो..???
आखिर कब होगा ये सब..??? कभी होगा भी या नहीं.???
Sunday, August 12, 2012
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