Monday, August 27, 2012

...


"थक गया..
सुनते-सुनते..
शायरी के भारी लफ्ज़..
क्या दे पायेंगे..
ये मुरव्वत.
दो वक़्त की रोटी..
खैरात में..
लंगर भी..
होता बस..
एक बार है..!!"
...

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