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'पैसे पेड़ पर नहीं नहीं उगते', एकदम दुरुस्त फ़रमाया माननीय प्रधानमंत्री जी ने.. हम जैसे आम आदमी क्या जाने पैसे क्या होते हैं..?? हम थोड़े ही देखें हैं million trillion zillion Dollars .. हम क्या जाने कितनी पीड़ा उठती है उनके मन में जब चाह कर भी अपने स्विज़ खाते में पैसे नहीं जमा करा पा रहे..!! हमारे CAG महोदय जी ने बहुत गलत बात करी, क्या आवश्यकता थी उन्हें ऐसी रिपोर्ट बनाने की..?? क्या आवश्यकता थी सारे नेताओं का कच्चा चिट्ठा खोल देने वाली हिमाकत करने की..??? कितनी कठिनाई से कुछ घोटाले किये थे, वो भी जग जाहिर हो गए..!! आखिर कहाँ जाएँ बेचारे..??
सच, पैसे पेड़ पर नहीं उगते..!! अगर उगते होते तो माननीय प्रधानमंत्री को राष्ट्र को संबोधित नहीं करना पड़ता..उसके सामने हाथ नहीं पसारने पड़ते कि - 'देशवासियों, ये जो CAG है ना..इसने हमारा जीना दूभर कर दिया है..कृपया हमारी मदद करिए..!! आखिर कहाँ से लायें हम पैसा..आपने जो हमारे पेड़(2G , Commonwealth , Coal , इत्यादि) काट डाले हैं, कहाँ जायेंगे हम..?? कैसे अपने परिवार का लालन-पोषण करेंगे..??
क्यूँ दीदी उन्हें सब्ज़ियों, डीज़ल, रसोई गैस के दाम नहीं बढ़ाने नहीं देतीं..?? कितना अच्छा होता, वो स्वयं भी खातीं और बाकी सबको भी खाने देंतीं..!!
आम जनता से जन-हित, देश-हित, राष्ट्रनेता-हित में अनुरोध है, 'कृपया इन सर्वजन को आराम से नए पेड़ उगाने का मौका दीजिये, स्वयं भी सुखी रहिये इन्हें भी सुखी एवं प्रसन्नचित्त रहने दीजिये..!!'
सादर धन्यवाद..!!
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